तुम्हारा सहारा
तुम्हारा सहारा


बचपन की गलियाँ छोड़
अब तुम बड़े हो चले हो
कहा मेरी उंगलियाँ पकड़
चला करते थे,
अब काँधे मिला खड़े हो।
समय का खेल है सारा,
सब को अपना रूप दिखाता है,
कल तुम्हें ज़रूरत थी मेरे काँधे की,
आज मुझे तुम्हारे सहारे का आसरा है।
आँखों से मेरी दुनिया देखी तुमने,
लड़खड़ाए जब तुम संभाला मैंने,
कल तुम मेरी छांव में थे,
आज मुझे तुम्हारे जड़ों की ज़रूरत है।
अंधेरों में जब डरा करते थे,
सीने से लगाया मैंने,
कल तुम्हें मेरे साहस ने संभाला,
आज मुझे तुम्हारे संयम की ज़रूरत है!
गिनती तुम्हें सिखायी मैंने,
एहसान न गिनाता तुम्हें,
बस शुरुआत से साथ जैसे
चला मैं तुम्हारे,
अंत तक साथ तुम रहना मेरे।