STORYMIRROR

Divisha Agrawal Mittal

Inspirational

3  

Divisha Agrawal Mittal

Inspirational

तुम्हारा सहारा

तुम्हारा सहारा

1 min
503


बचपन की गलियाँ छोड़

अब तुम बड़े हो चले हो

कहा मेरी उंगलियाँ पकड़

चला करते थे,

अब काँधे मिला खड़े हो।


समय का खेल है सारा,

सब को अपना रूप दिखाता है,

कल तुम्हें ज़रूरत थी मेरे काँधे की,

आज मुझे तुम्हारे सहारे का आसरा है।


आँखों से मेरी दुनिया देखी तुमने,

लड़खड़ाए जब तुम संभाला मैंने, 

कल तुम मेरी छांव में थे,

आज मुझे तुम्हारे जड़ों की ज़रूरत है।


अंधेरों में जब डरा करते थे,

सीने से लगाया मैंने,

कल तुम्हें मेरे साहस ने संभाला,

आज मुझे तुम्हारे संयम की ज़रूरत है!


गिनती तुम्हें सिखायी मैंने,

एहसान न गिनाता तुम्हें,

बस शुरुआत से साथ जैसे

चला मैं तुम्हारे,

अंत तक साथ तुम रहना मेरे।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Inspirational