छवि-तुम्हारी।
छवि-तुम्हारी।
दया करो हे! जिया मां भवानी ,तुम हो जग की कल्याणी।
तुम्हारी महिमा कोई न जाने ,जग की तुम हो पालन हारी।।
जब भी मानव संकट में पड़ता, याद आती सिर्फ तुम्हारी ।
ह्रदय तुम्हारा इतना कोमल ,पल में ही संकट को टारीं।।
आदि-शक्ति माँ तुम कहलाती,कितनी सुंदर छवि तुम्हारी।
दया करो हे !जग कल्याणी, लाज बचाओ अब हमारी।।
यह सृष्टि भी तुम बिन अधूरी ,बन जाओ अब मात हमारी।
हर गली, हर मोड़ पर, सिर्फ देखूँ माँ सिर्फ छवि तुम्हारी ।।
रुप अनेकों धारे तुमने, करती सबकी तुम रखवारी।
मैं अज्ञानी समझ न पाता, अजीब है लीला तुम्हारी।।
तेरी माया, तू ही जाने ,मैं तो पड़ा द्वार तुम्हारी।
भटक रहा हूँ आत्मशांति को, कब आएगी मेरी बारी।।
तुम तो हो करुणा की मूरत, मैं तो ठहरा एक भिखारी।
" नीरज" की सिर्फ एक ही प्रार्थना, ह्रदय में हो बस "छवि तुम्हारी"