छुपा हुआ दर्द
छुपा हुआ दर्द
क्या बात है दोस्त बहुत मुस्करा रहे हो,
लगता है चोट खा के आ रहे हो
और रात में भी ये काला चश्मा पहने हो,
लगता है आँखों कि नमी छुपा रहे हो
और करके बर्बाद तुम्हें बहुत खुश है वो रकीब के साथ,
तुम फिर भी उसका नाम छुपा रहे हो
चलो ये तो बताओ कैसी दिखती थी वो,
अजीब आदमी हो यार खुदा कि तस्वीर दिखा रहे हो..
इतना सब होने के बाद भी सुधरे नहीं हो तुम,
देखो फिर उसी कि गली जा रहे हो..
दिन रात जपते हो उसके नाम कि माला आज भी,
कोई पूछे तो खुद को पागल बता रहे हो
और इस जन्म में ना सही तो अगले जन्म में
तो मिल ही जायेगी वो तुम्हें,
बस इतनी सी बात पे मरने जा रहे हो।

