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नूपुर Noopur शांडिल्य Shandilya

Abstract

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नूपुर Noopur शांडिल्य Shandilya

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छंद

छंद

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मन का द्वंद ही

यदि होता है छंद

तो मैंने भी

लिखी है कविता ।


द्वंद की गाँठ

खोलना ही

यदि होता है छंद

तो मैंने भी

लिखी है कविता ।


गाँठ गाँठ में

रस की सृष्टि का

दर्शन कर पाना

यदि होता है छंद

तो मैंने भी

लिखी है कविता ।


आंसू की

बूंद-बूंद में

धनक पहचानना

यदि होता है छंद

तो मैंने भी

लिखी है कविता ।


अवरुद्ध कंठ से

जीवन का राग

गुनगुनाना

यदि होता है छंद

तो मैंने भी

लिखी है कविता ।


दुख की

अमिट छाप से

अल्पना बनाना

यदि होता है छंद

तो हाँ मैंने भी

लिखी है कविता ।


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