छंद वाम सवैया
छंद वाम सवैया
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विषाद तजो नर योग करो नित पालन काम करो सुख धामा।
बनो फिर वीर तजो रख धीर बनो तुम जीवन आपन कामा ।।
बनो बलवीर रहो यशवीर करो सब काज रहें बलधामा।
भरो फिर भाव करो शुभ काज करें
प्रभु आस चलो प्रभुधामा।।
सहर्ष करें सब रीत करो मन मीत सुनो अब प्रीत निभाये ।
बनें सब छंद करो लयबद्ध बनें फिर ग्रंथ सुनो हम गायें। ।
सुनो तुम श्याम जरा यह बात करो मत घात बनो अभिरामा।
मिले अब प्रीत सुनूँ जब गीत बनूँ फिर मीत सुनो अब श्यामा।