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Sandeep Kumar

Fantasy Inspirational

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Sandeep Kumar

Fantasy Inspirational

चारों धाम की यात्रा बस वह सेवा

चारों धाम की यात्रा बस वह सेवा

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जज्बा-जुनून हो तन-मन में तो

वह आशा किसी से न करती है

जो हाथ है, जो साथ है हमारी

उसी से नेकी करती है।।


टाल मटोल की न जरूरत

तनिक भी उसको पड़ती है

हृदय की गहराई से वह भक्त

भगवान की भक्ति करती हैं

जज्बा-जुनून हो तन मन......


जिससे उसको मुक्ति धाम की

प्रखर रास्ता मिल जाती है

और ना चाहें तो भी उसको

भगवान शरण में रख लेती है

जज्बा-जुनून हो तन मन......


चारों धाम की यात्रा बस वह

सेवा से ही पूर्ण कर लेती है

मंगलमय जीवन फल दायक

हर्ष उल्लास से कट जाती है

जज्बा-जुनून हो तन मन......


आज-कल की सारी चिंता 

वह ईश्वर पर छोड़ देती है

डेली-डंडा लिए मनुष्य वह

जब सेवा में जुड़ जाती हैं

जज्बा-जुनून हो तन मन......


सारी दुख हर लेती उसकी

सुख से जीवन कटती हैं

जब माया संसार को छोड़कर

कोई सेवा कार्य में लग जाती है

जज्बा-जुनून हो तन मन......



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