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Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Tragedy

4.5  

Vijay Kumar उपनाम "साखी"

Tragedy

चापलूसों की भरमार

चापलूसों की भरमार

2 mins
225


चापलूसों की हो रही हर जगह भरमार है

दीमक बनकर चाट रहे सबका ये संसार है

जिस किसी भी बर्तन में ये शख्स रहते है,

उसका खाली कर देते पूरा ही संसार है


ज़रा चापलूसों से तू दूरी बरकरार रख,

इनसे दूरी रखने से ही होगा बेड़ा पार है

चापलूसों की हो रही हर जगह भरमार है

दीमक बनकर चाट रहे सबका ये संसार है


चापलूसों के कारण छूटा जीता उपहार है

चापलूस हर शेर का करते यहां बंटाधार है

चापलूसों को मत दे तू कभी यहां पनाह है

न तो तेरी उसी जगह बना देंगे कब्रगाह है


चापलूस उजाले को देते तम का हार है

जिस थाली में खाते,उसे कर देते बर्बाद है

चापलूसों की हर जगह हो रही भरमार है

दीमक बनकर चाट रहे सबका ये संसार है


चापलूस पवित्र गंगाजल को देते दाग है

चापलूसी गुलामी का एक अमिट दाग है

जो लोग करते इस संसार मे चापलूसी है

दुनिया मे कहलाते है,वो चारे की भूसी है


चापलूसी के कीड़े से जो होते बीमार है

अमृत जीवन पाकर भी रहते लाचार है

चापलूसों की हो रही हर जगह भरमार है

दीमक बनकर चाट रहे सबका ये संसार है


उनकी चापलूसी का न कोई पारावार है

जिन्होंने जन्म से पहना थैला रूपी हार है

चापलूसों का स्वाभिमान कुछ न होता है 

चापलूस होते स्वाभिमान की मृत गार है


चापलूसों की हो रही हर जगह भरमार है

दीमक बनकर चाट रहे सबका ये संसार है

चापलूसों से रिश्ता रखना साखी बेकार है

जो दूर रखते,न करते इनसे थोड़ा प्यार है


वही पाते दुनिया में कामयाबी बेसुमार है

जो चापलूसों को मारते लाठी बारम्बार है।


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