चांद
चांद
चाँद को ही देखा जाता हैं
जहां रोशनी की क़ीमत होती हैं
तारीफ़ तो तेरी मैं हररोज करता हूं
पर तुझे कहां फुरसत होती हैं
तुझे तो मौसम भी देखता रह जायेगा
फिर मेरे देखनेसे क्यो हैरत होती हैं
हर बार मिलती रहती हो तुम
यहीं तो फितरत होती हैं
ना बात करती हो,
ना देखती हो
फिर भी याद करती हो,
यही तो किस्मत होती है
बिना देखे ही ध्यान रखती हो
यह प्यार नहीं आदत होती हैं
तुम कैद हो इश्क के गांव में
जहां से कहां ज़मानत होती है।