चांद मुस्कुरा रहा
चांद मुस्कुरा रहा
बादलों में चांद, बुला रहा इंसान,
काला दाग भी, बनती है पहचान,
दूर दूर जो रहे, उसकी होती शान,
अपने कर्मों से बने, इंसान महान।
देखों मुस्कराता है नीला वो अंबर,
बादलों में लगे द्युति चमकती रंग,
बरसात सी हो जाये, खुशियों की,
मन मंदिर में छिड़ जाये एक जंग।।
जीवन में हास्य रस,भर देता है उमंग,
काम में जोश आये,छिड़े जिंदगी जंग।
दुख सुख में बदले,जब होता मन खुश,
हर सवाल के पीछे,उभरे मन कई रंग।।
देखो चांद मुस्कुरा रहा,बुलाता है आज,
कितना प्यारा मुखड़ा, भरे हुये कई राज।
प्यार आता है देख चांदनी,मन हो विभोर,
शीतलता देता सभी रखता जन की लाज।।
हँसना एक दवा होती,रहो मन से खुश,
हवा में बादलों भांति, छट जाएंगे दुख।
रोगों में सुधार हो, हँसना हो एक कला,
दुख छोड़ दो अभी,पकड़ों सुख का रुख।