चाँद मत कहना
चाँद मत कहना
मैं नहीं चाहती
कि तुम मुझे चाँद कहो,
चाँद कहकर फिर
मुझे ग्रहण दो।
चाँद बनकर
मैं तन्हा फलक
पर सजना नहीं चाहती।
एक तेरी निगाहों में रहना है
बस मैं सबकी निगाहों में
बसना नहीं चाहती।
वो चाँद तो खुद
चाहत को तरसा
किया करता है,
चांदनी को गले लगाकर
अमावस को रोया करता है।
मैं तुमसे एक पल भी
जुदा होना नहीं चाहती
मैं तेरा, तू मेरा वजूद है
मैं इसको खोना नहीं चाहती।
मुझे चाँद मत कहो तुम
मैं चाँद सा तन्हा फलक पर
सजना नहीं चाहती।