चांद बैरी
चांद बैरी
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चांद
चमक रहा नभ पर
बुलाता अपने पास
कभी धरा पर आए
पूरी हो जाए आस,
तारों के बीच रहता
शोभा ही निराली है
जिस रात नहीं आए
वो रात ही काली हैं,
स्वर्ग सा लगता मुझे
चांद तारे का परिवार
एकता भारी मिलती
कभी होगी नहीं हार,
मामा कहकर पुकारे
धरती के सब लाल
तेरी महिमा निराली
रहते खुश हर हाल।