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Rupesh Kumar

Romance

3  

Rupesh Kumar

Romance

चाह्ता हूँ

चाह्ता हूँ

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170


हर पल तुझे ख्वाबों में देखा ,

अब हकीकत में पाना चाहता हूँ।

पास आकर तुम्हारे कुछ लम्हे ,

चुराना चाहता हूं।

लगाकर अपने सीने मे तुम्हें ,

ये ज़िन्दगी जीना चाहता हूं।

लेकर तुम्हें अपनी बाहों में ,

ये जहान बदलना चाहता हूं।

जाने कितने आंसू बहे ,

तुम्हारे इंतेजार में,

पर अब तेरे संग मुस्कुराना

चाहता हूं।

अपनी हर खुशी तेरे नाम करके ,

अब तेरे सारे गम ,

अपनाना चाहता हूं।

तुम तो बस चुकी हो इस दिल में ,

पर अब तुम्हारे दिल में ,

बस जाना चाहता हूं।

हर पल तुझे ख्वाबों में देखा ,

अब हकिकत में पाना चाहता हूं।


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