चाहा मैने था उसे
चाहा मैने था उसे
पता नही शायद गलती किसकी थी,
चाहा हमने ही था उसे
वो हमें नजरअंदाज करते रहे,
देखकर हँसना उनकी आदत थी या मजबूरी
समझ नहीं पाया मैं,
अंदाज किया तो पता चला
आदत ही थी
दुखी था बेबस था मै मगर शांत था,
मेरी गलतफहमी थी लेकिन एक उम्मीद थी,
होगा सफल मेरा प्यार एक ना एक दिन,
बस यही आस लगाये उससे नजरें मिलाते,
छोड़ ही दिया उसने आजकल नजरें मिलाना,
बस आवाज ही बाहर ना आई
बाकी सब हाल हुआ,
उसका नजरअंदाज करना ही सब बजह बना,
उसकी कोई गलती तो नहीं, चाहा मैंने था उसे।