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Anita Bhardwaj

Fantasy

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Anita Bhardwaj

Fantasy

चाह

चाह

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निपुण बन जाऊं,

संपूर्ण होने की

चाह किसे है!


अपने शब्दों का

अर्थ बन जाऊं

जटिल व्याकरण बनने की

चाह किसे है!


मेरे शब्दों में रहे कोई

अपना आशियाना समझकर

महलों सा घरौंदा बनने की

चाह किसे है!


मैं दुखी भी हों

तो कोई खुश हो जाए,

हर पल मुस्कुराने की

चाह किसे है!


कभी मोमबत्ती बन 

किसी का अंधकार दूर कर जाऊं

सुखों का चमकता सूरज बनने की

चाह किसे है!


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