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मिली साहा

Classics

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मिली साहा

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बुराई पर अच्छाई की जीत

बुराई पर अच्छाई की जीत

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विजयादशमी धर्म की जीत का है त्योहार

अच्छाई की जीत हुई बुराई की हुई थी हार


इस दिन सच्चाई ने प्रचंड शक्ति दिखाई थी

बुराई का अंत कर अच्छाई ने जीत पाई थी


श्रीराम ने इस दिन रावण का वध किया था

मिटाकर अंधेरा चारों ओर प्रकाश किया था


है बात पुरानी लंका में एक राजा अत्याचारी रावण था

वो अज्ञानी खुद को खुदा समझने की भूल कर बैठा था

शिव का था परम भक्त पर ऋषियों पर जुल्म करता था

भाषा वाणी पर नहीं नियंत्रण अपनी मनमानी करता था


बीस भुजाओं और दस सिर वाला ये राजा अभिमानी था

क्रोध ,घमंड और अधर्मी वह रावण बहुत ही दुराचारी था

अहंकारी रावण ने अपनी मर्यादा का उल्लंघन किया था

श्री राम जब वन में आए रावण ने सीता हरण किया था


साधु बनकर सीता को हरने की बचकानी हरकत की थी

यहीं से उस अत्याचारी के अंत की कहानी आरंभ हुई थी 

सीता को श्री राम को सौंपने की बात सबने समझाई थी

नारी को हरने का परिणाम अच्छा नहीं ये बात बताई थी


पर अहंकारी रावण अपनी बुद्धि को एकदम खो चुका था

क्योंकि उस अत्याचारी के सर पर तो काल मंडरा रहा था

उधर रघुपति ने रावण से लड़ने की पूरी तैयारी कर ली थी

सुग्रीव, हनुमान के साथ युद्ध की संपूर्ण योजना बनाई थी


तब श्री राम और रावण के बीच एक भीषण युद्ध हुआ था

अस्तित्व मिट गया रावण का वह रघुपति से टकराया था

जय-जयकार हुई रघुपति की आज बुराई को हराया था

श्रीराम ने अधर्म को हराकर सीता को मुक्त करवाया था


क्रोध कपट छल अत्याचार यह सब थे रावण के परिवार

अधर्म बढ़ा था रावण का इसलिए रघुपति ने किया संहार

अंधकार का नाश कर श्रीराम ने आज प्रकाश फैलाया है

एक बार फिर वही संदेश देने दशहरे का त्यौहार आया है


हर कोई खुशी के साथ प्रत्येक वर्ष यह त्यौहार मनाता है

बुराई पर अच्छाई की जीत यह विजयदशमी कहलाता है


गर्व है हमें अपनी सभ्यता और संस्कृति पर

नारायण ने श्रीराम अवतार लिया धरती पर


आज लोग रावण का पुतला जलाकर यह त्यौहार मनाते 

पुतला जलाकर क्या होगा जब खुद में कितने रावण बैठे 


समाज मैं ना जाने कितने रावण सर उठाकर चल रहे है

और हम बर्षो से रावण के कागज का पुतला जला रहे हैं


मन के रावण को आज मिटा सका ना समाज

रावण के पुतले जलाने का बढ़ता गया रिवाज


कदम कदम पर नारी का अपमान हो रहा है

अत्याचार और भ्रष्टाचार बढ़ता ही जा रहा है


सोच कर देखो क्या ऐसे समाज का विकास हो पाएगा

जहां नारी का सम्मान ना होगा इंसान इंसान को मारेगा


जिस दिन देश और समाज के रावण का अंत हो जाएगा

उस दिन रावण मुक्त समाज का तोहफा हर कोई पाएगा 


झूठ,लोभ,पाप,अनैतिकता का जब अंत हो जाएगा

तब सही मायनों में फिर से वापस रामराज्य आएगा।



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