बसंत
बसंत
फूलों की खिल- खिलाहट को,
सर -सराती हवा में,
खुशबू तुम घोल जाओ।
बसंत तुम आकर,
अनंत रूप जीवन में,
जीवन को बहारों के
दिगंत तक ले जाओ।
फूलों की खिल- खिलाहट को,
सर- सराती हवा में,
खुशबू तुम घोल जाओ ।
मन -मन को महका जाओ ।
रूह को जीवन दे,
नई राह तुम दिखलाओ ।
बसंत तुम आकर,
अनंत रूप जीवन में,
जीवन को बहारों के,
दिगंत तक ले जाओ ।
फूलों की खिल- खिलाहट को,
सर- सराती हवा में,
खुशबू सा तुम घोल जाओ।
चांदनी रात में आ के,
मोगरे के फूल- सी,
खुशबू बन,
प्यार को महकाओ।
बसंत तुम आकर,
अनंत प्रेम रूप,
आनंद के दिगंत तक ले जाओ।
विशेष यहां दिगंत का अर्थ क्षितिज