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Sudershan kumar sharma

Inspirational

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Sudershan kumar sharma

Inspirational

बसंत पंचमी

बसंत पंचमी

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बसंत आया बसंत आया

अपने साथ अनेक खुशियां

लाया। 


पतझड़ का अब गया जमाना, 

आ गया बस मौसम सुहाना

फूल खिले हैं रंग विरंगे खेतों

में भी हरियाली छाई, बसंत आया बसंत आया । 


सज रहे हैं झरने नाले, दिख रहे हैं, मैदान निराले, खत्म 

हो गये सब सर्दी पाले, बूढों

ने भी छोड़ दी रजाई, बसंत आया बसंत आया । 


निकल आए पेडों पर पत्ते

हो गए सब हक्के बक्के क्या

बावू क्या नाई बसंत आया बसंत आया । 


कलियां आंखे खोल रही हैं

पत्तों को मुहं चूम रही हैं, भंबरे की धुन भी दे रही

सुनाई, बसंत आया बसंत आया । 


फूल महक रहे हैं प्यारे प्यारे

बागों में भी अजीब नजारे

माली के भी दिन ये न्यारे

सज रहे

हैं मन्दिर मस्जिद गुरूदवारे, फूलों ने है महक

फैलाई, बसंत आया बसंत आया । 


खेतों में धूप खूब खिली है, 

पत्तों की हरियाली चूम रही

है, बाग में कोयल कूक रही

है, चिड़ियों की टोली खूब है

छाई, बसंत आया बसंत आया । 


पंचमी का त्योहार खूब मचा है, हरेक ने पीला वस्त्र ओढ़ा

है, पीले चाबल दही का कटोरा है, खाने पीने में भी

मस्ती छाई बसंत आया बसंत आया । 


चारों तरफ  है मस्ती का दौर

नाच रहा है जंगल में मोर, 

आशमान पर भी काली बदली

है छाई बसंत आया बसंत आया आया


सरस्वती मां का यह त्योहार

आता है बर्ष में एक ही वार

देती है मां सब को प्यार, 

अनेक फूलों से सुदर्शन ने पूजा की थाली सजाई,

बसंत आया बसंत आया। 



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