बसंत आ गया
बसंत आ गया
बसंत आ गया साजन
बताओ तुम कब आओगे
मेरे सूने जीवन मे
उजियारा कब फैलाओगें।
सखियाँ हँसती मुझ पर
मैं उदास हो जाती हूँ
तुम्हारी प्रतीक्षा में
मैं निढाल हो जाती हूँ
बसंत आ गया साजन
बताओ तुम कब आओगे।
पीले पीले फूल लहलहाते हैं खेतों में
हरे हरे खेत मन को कर रहे हैं मोहित
कोयल बोलती डालियों पर
मोर जंगल मे अपना नाच दिखाते
चारों ओर खुशियाँ हैं छाईं
बसंत आ गया साजन
बताओ तुम कब आओगे।
मेरे घर का कोना सूना है तुम्हारे बिना
मेरा श्रृगांर पूर्ण नहीं बलमा तुम्हारे बिना
चिड़िया चहचहा रही हैं हरे भरे पेड़ो पर
माँ बाबूजी गए हैं खेतों पर
मैं अकेली तुम्हारा रस्ता निहारती
बसंत आ गया साजन
बताओ तुम कब आओगे।