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निशा शर्मा

Tragedy

3.9  

निशा शर्मा

Tragedy

बस इतनी सी बात थी...

बस इतनी सी बात थी...

3 mins
251


वो था पैंतीस का अधेड़

वो पन्द्रह वर्ष की बालिका थी

कुछ सपने थे उसके कुछ चाह थी

अपने माता पिता का नाम रौशन करना था उसे

बस इतनी सी बात थी !


इतनी सी बात समझने में था असमर्थ वो

या उस दरिन्दे में हवस की खान थी

या फिर उस बालिका की ना

उसकी झूठी मर्दानगी पर वार थी

आज भी उस हैवान की हैवानगी याद कर हो जाते हैं

सोचने पर मजबूर बस इतनी सी बात थी !


बीच सड़क पर जब एक युवती तड़प रही थी

अपने बेतहाशा दर्द से जूझती वो मर रही थी

यूं तो हर आने जाने वाली नजर उसपे पड़ रही थी

मगर कोई मदद उस तक नहीं बढ़ रही थी

उसकी साँसों मे बाकी अभी भी एक साँस थी

बस एक छोटी सी मदद की गुहार थी

पहले आती तो शायद बचा लेते

आज भी उस बात को याद कर हो जाते हैं

सोचने पर मजबूर बस इतनी सी बात थी !


हंसने मुस्कुराने की उसकी आदत थी

सबसे बोलती थी सबसे उसकी जान पहचान थी

फ्रेंड रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर ली उसनें

वो उस नरभक्षी के इरादों से अन्जान थी

जब सामने आया असली इरादा

तो उस लड़की की इंकार थी

पचा नहीं पाया वो अपनी घिनौनी तस्वीर

जो उस लड़की ने उसको आईने में दिखाई थी

झूठे पोस्ट झूठी बदनामी अब वो लड़की बेजान थी

कल तलक जिसमें जान थी

दोस्ती ही तो की थी उसनें बस

थोड़ी सी मिलनसार थी सुनकर ये बात

सोचने पर मजबूर बस इतनी सी बात थी !


जबसे आयी थी उस घर में सबका ख्याल रखती थी

संस्कारों के बोझ तले सबकी उल्टी सीधी सुनती थी

खुद किसी को कभी कुछ नहीं कहती थी

फिर क्या हुआ उस दिन क्या बात थी

दहेज का ताना तो पहले भी सुना था उसनें

बेइज्जती तो वो पहले भी सहती थी

हाँ मगर उस दिन अपने माँ पापा को दी गयी गाली

बर्दाश्त न कर सकी थी बिफर पड़ी रो पड़ी थी

सच तो बोला भी नहीं था उसनें उसे तो बस

रोने की सजा मिली थी

जले हुए शव का अन्तिम संस्कार करने की भ

इजाजत उसके माँ बाप को न मिली थी

बाद में पता चला कि उसके दहेज के

बीस हजार रुपयों पर ठनी थी 

जो तय बोली से कम थे बस इतनी सी कमी थी

गरीब की बेटी थी वो उसकी इतनी ही हैसियत

इतनी ही औकात थी एक बार फिर

सोचने पर मजबूर बस इतनी सी बात थी !


ऐंसी ही न जाने कितनी इतनी सी बातों पर

कितनी जिंदगियां कुर्बान हो जाती हैं और हो रही हैं।

दंगे फसाद , विवाद ,अवसाद और भी बहुत कुछ

इतनी - इतनी सी बातों पर हो जाते हैं ।

बाद में बस कुछ बचता नहीं कहने को न रह जाता है कुछ करने को ,

सोच रह जाती है तो बस ये ......बस इतनी सी बात थी !   


किसी की इतनी सी मदद करके,किसी का इतना सा ख्याल करके देखें

कि आपका इतना सा करना किसी के लिए कितना बन जायेगा!!

काश कि हम वक्त रहते समझ लें कि

बस इतनी सी बात है

ताकि बाद में न हो पछतावा कि

बस इतनी सी बात थी !


                  



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