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निशा शर्मा

Abstract

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निशा शर्मा

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आखिरी कोशिश...

आखिरी कोशिश...

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तुम्हारे सीने पर अँगुलियों से लिखा था मैंने

ये तो मुझे याद नहीं मगर

अपने जज़्बातों को तुम्हारे दिल पर

उकेरने की सदा कोशिश की है !

मेरा दिल मासूम था बहुत ये तो

जानते थे तुम भी मगर

तुमनें हर बार मेरे दिल को

दुखाने की कोशिश की है !

कितने अरमानों से रखा था कदम

मैंने तुम्हारी दुनिया में

मालूम था ये तुमको भी मगर

तुमनें हर बार मेरे अरमानों को

दफ़नाने की कोशिश की है !

मैं जानती हूँ तुमको और तुम्हारे

पुरुषत्व के अहम को भी मगर

मैंने तो हर बार बस अपनें स्त्रीत्व

को बचाने की कोशिश की है !

तुम नहीं बदलोगे कभी 

मैं जानती हूँ इस सत्य को भी मगर

मैंने तुम्हारी ओर अपना हाथ

बढ़ाने की ये आखिरी कोशिश की है !



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