गुजरे जमाने...
गुजरे जमाने...
यहाँ दिलों में चाहतों का शोर बहुत है
सुना है तेरे शहर में दिल के चोर बहुत हैं!
मुझसे पूछा करता है वो मेरे घर का पता
उसकी फ़रेबियों के किस्से पुराने बहुत हैं!
न कहा खुद ही न मुझे ही कुछ कहने दिया
उसके मयखाने में हया के पैमाने बहुत हैं!
मुझसे कहते हैं मुझे रोने का हक नहीं
यहाँ मेरे शौहर की शोहरत के दीवाने बहुत हैं!
तुमको सब है अदा किस बात का गम फिर
सच है यहाँ दिल बहलाने को बहाने बहुत हैं!
मेरी हर बात पर खफ़ा सा रहता है वो
मेरी बदकिस्मती के मियाँ फ़साने बहुत हैं!
उसकी आदत मेरे दुपट्टे को छूकर गुजरने की
ऐसे कितनों के इश्क के गुजरे जमाने बहुत हैं।