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बात साथ बढ़ आती फिर भी इतनी दूरी उम्मीद बस इतनी सी जिन्दगी सस्ती नहीं इतनी ख़ुशी इतनी बेखोफी इतनी ख़ुशी इतनी बेखोफी का इज़हार न कर राशीद वो साफ गलीया वो पत्थर के मकान आज भी है.. तनहा शायर हूं

Hindi इतनी Poems