सुरशक्ति गुप्ता
Tragedy
सिसकियां इतनी बढ़ गई हैं...
अब हिचकियां भी नहीं आती हैं...।।।
प्यार
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एकान्तता
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तपन
पुरुष ने कभी द्रौपदी का चीर खिंचवाया तो कभी सतयुग में सीता को चुराया। पुरुष ने कभी द्रौपदी का चीर खिंचवाया तो कभी सतयुग में सीता को चुराया।
2021 को दे दो विदाई, इसने सारी हँसी मिटाई। 2021 को दे दो विदाई, इसने सारी हँसी मिटाई।
डर लगता हैं कुछ कहने से, कोई गलत ना समझ बैठे जो पाया हैं उसे खोने का डर लगता है डर लगता हैं कुछ कहने से, कोई गलत ना समझ बैठे जो पाया हैं उसे खोने का डर लगता ...
अंहकारी ने कैसे किसानों के सामने घुटने टेके प्यारे। अंहकारी ने कैसे किसानों के सामने घुटने टेके प्यारे।
उन तीनों को बचपन से ही मैंने औरों को कैसे देखना है मैं नहीं सीखा पायी उन तीनों को बचपन से ही मैंने औरों को कैसे देखना है मैं नहीं सीखा पायी
माँ ने सिखाया था सबका आदर सम्मान करना सबको प्यार देना सबका मान रखना। माँ ने सिखाया था सबका आदर सम्मान करना सबको प्यार देना सबका मान रखना।
एक मोड़ पर आकर पता चला वो इकरार नहीं था जिसे मैं प्यार समझ बैठी वो प्यार नहीं था. एक मोड़ पर आकर पता चला वो इकरार नहीं था जिसे मैं प्यार समझ बैठी वो प्यार नहीं ...
हिचकियाँ आते ही मस्त उन्माद से भर जाते है लोग आजकल। हिचकियाँ आते ही मस्त उन्माद से भर जाते है लोग आजकल।
पर इश्क़ में हो गया दिल मेरा जाहिल सा है। पर इश्क़ में हो गया दिल मेरा जाहिल सा है।
कभी लगा जोर का ठोकर उसके ताकत से ही वह बल खाएगा I कभी लगा जोर का ठोकर उसके ताकत से ही वह बल खाएगा I
वो ही बनता रब की नजर में कोहिनूर है। जो सबके भलाई के लगाता नित फूल है।। वो ही बनता रब की नजर में कोहिनूर है। जो सबके भलाई के लगाता नित फूल है।।
हाँ जीने के लिये मुझे भी जैसे, प्यार व सम्मान कि ज़रूरत तो होगी, हाँ जीने के लिये मुझे भी जैसे, प्यार व सम्मान कि ज़रूरत तो होगी,
हसीन फूल देखकर, कर लेते हैं मुहब्बत। करके बदनाम कली को, हो जाते हैं रुखसत हसीन फूल देखकर, कर लेते हैं मुहब्बत। करके बदनाम कली को, हो जाते हैं रुखसत
साथ देने के लिए, जिंदगी भर का वो हाथ हमारे, मझधार में छोड़ देगी। साथ देने के लिए, जिंदगी भर का वो हाथ हमारे, मझधार में छोड़ देगी।
सच है न कि खबर दिल में आराम फरमा है. सच है न कि खबर दिल में आराम फरमा है.
छीन के हमसे हमारे सपनों की लड़ी बँधा दी पैरों में शादी की ये कड़ी। छीन के हमसे हमारे सपनों की लड़ी बँधा दी पैरों में शादी की ये कड़ी।
अब जाग जाओ मुल्क के आवाम सब तो नहीं तो तेरी आस्था के भगवान बेच देंगे।। अब जाग जाओ मुल्क के आवाम सब तो नहीं तो तेरी आस्था के भगवान बेच देंगे।।
ये कश और काश मे जो डंडे का फर्क है वो डंडा वही सिगरेट है। ये कश और काश मे जो डंडे का फर्क है वो डंडा वही सिगरेट है।
मैं घुला हुआ झरता हूं वहां उस टीले से बस्ती की झरोखे पर वहां से बहाता हूं मैं मैं घुला हुआ झरता हूं वहां उस टीले से बस्ती की झरोखे पर वहां से बहाता हूं...
कल की नहीं ख़बर , बस आज का अफसाना है। कल की नहीं ख़बर , बस आज का अफसाना है।