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Prateek Tiwari (तलाश)

Drama Inspirational

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Prateek Tiwari (तलाश)

Drama Inspirational

बस एक बार

बस एक बार

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कहता है कौन,

कि कमज़ोर हो तुम,

अपनी बाज़ुओं की ताक़त,

आजमां कर तो देखो।


कहता है कौन,

कि बदकिस्मत हो तुम,

अपने हाथों पे लकीरें,

बना कर तो देखो।


कहता है कौन कि,

कुछ बस में न तुम्हारे,

अपनी बाहों को,

इक बार फैला कर तो देखो।


फिर देखो बदलती,

क़िस्मत का नज़ारा,

ये धरती, ये सागर,

ये आकाश सारा।


सब होगा बस,

तुम्हारा ही तुम्हारा।


खड़ी होंगी ख़ुशियाँ भी,

फैलाएँ अपनी बाहें,

करने को ख़ूब,

आलिंगन तुम्हारा।


बस एक बार,

बस एक बार,

अपनी बाहों को,

तुम फैला कर तो देखो।


अपने जज़्बे तो तुम,

आजमां कर तो देखो,

बस एक बार,

बस एक बार।


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