बर्तनों में मांड़ उबाला जाएगा
बर्तनों में मांड़ उबाला जाएगा
ज़िन्दगी की जंग में अगर हाथ छुड़ाया जाएगा,
यक़ीनन हमसफ़र बेवफा बन कर रुला जाएगा।
गंभीर मसलों को अगर यों ही अब टाला जाएगा,
तब दूर तक की तारीख़ में इसका हवाला जाएगा।।
कब तलक बच्चों को झूठी तसल्ली देगी माँ भला,
बर्तनों में कब तलक सिर्फ मांड़ उबाला जाएगा।
भूख से रोते बिलखते हों अगर बच्चे खड़े,
किस तरह से आप के मुँह में निवाला जाएगा।
इस जगह पर कल बनेंगे भव्य शॉपिंग माल भी,
और फिर इस घर से तुझे फौरन निकाला जाएगा।
काटने से बाज आयें यह नहीं होगा कभी,
आस्तीं में विषधरों को जब भी पाला जाएगा।
सच दिखाने की हिमाकत जो कर रहे हो आइनों,
एक दिन पटककर तुमको तोड़ डा़ला जाएगा।
यूँ ही गुजरी है अभी तक कमतरी में ज़िंदगी,
पर यकीं है मेरी झोपड़ी तक कभी उजाला जाएगा।