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Jai Singh(Jai)

Fantasy

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Jai Singh(Jai)

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"बरसे वारिद झमाझम "।

"बरसे वारिद झमाझम "।

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बरसे वारिद झमाझम, खूब हुई बरसात।

प्रफुल्लित हुआ जन जीवन, बहुत अच्छी यह बात।

बहुत अच्छी यह बात, पर्यावरण सब शुद्ध हुआ।

कृष्ण धूसरित धरा, आकाश अब पवित्र हुआ।

कह "जय" खिला जीवन, कोई जल बिन न तरसे।

झड़ी लगाई खूब, मेह अब रम रम बरसे।


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