रंगीन यादों में करती मैं मेरे पदचिन्ह, छोड़ती चलती इस मोड़ से गुज़रने का चिन्ह। रंगीन यादों में करती मैं मेरे पदचिन्ह, छोड़ती चलती इस मोड़ से गुज़रने का चिन्ह।
ईर्ष्या द्वेष की गर्मी से पृथ्वी का मौसम बदल रहा। ईर्ष्या द्वेष की गर्मी से पृथ्वी का मौसम बदल रहा।
गल गए है सपने सब वादे, कसमें भी ढ़ल गए वेदना की धूनी में कंदिल से धुँआँ उठता है एक बुत के साये को ल... गल गए है सपने सब वादे, कसमें भी ढ़ल गए वेदना की धूनी में कंदिल से धुँआँ उठता है...
बहुत अच्छी यह बात, पर्यावरण सब शुद्ध हुआ बहुत अच्छी यह बात, पर्यावरण सब शुद्ध हुआ