बरसात एक रंग अनेक
बरसात एक रंग अनेक
घिरे बादल
कड़कती बिजली
वर्षा आई रे
बादलों को चूम के
उठी सौंधी खुश्बू रे।
धरती भीगी
चली ठंडी पवन
खिला है मन
गीला घर-आँगन
हो रही बरसात।
कोयल कूके
पशु पक्षी सब चहकें
मयूरा नाचे
प्रकृति खिल गई
कृषक मुस्कुराए।
नदियाँ नाले
भर गए हैं सारे
शोर मचा रे
बच्चों की टोली नाचे
हुडदंग मचा रे।
चहका हर मन
तपन हो गई कम
शीतल पवन बहाती ठंड
सूखा पसीना अब
है इंद्रदेव प्रसन्न।
रंग बिरंगे छाते
बच्चे लेकर निकले बाहर
नाचते गाते ,कीचड़ उछालते
कभी हँसते, कभी रोते
बस आनंद उठाते।
बूढ़ा और जवान
सबका मन चाहे उड़ान
सड़कों पर बाइक दौड़े
दादा दादी कार में घूमे
बरसात सब रंग जीवन भरे।