STORYMIRROR

Bhawna Kukreti Pandey

Romance Tragedy

4  

Bhawna Kukreti Pandey

Romance Tragedy

बोन्साई -2

बोन्साई -2

1 min
243

मन की

बंजर दरारों में

एक बीज

जो खेल खेल में

तुमने बोया था

अब कुछ कुछ

बोन्साई सा

बन गया है।

यूँ तो

बहुत जतन से

संजो कर रखती हूं

तुम्हारे बोन्साई को

सींचती हूँ

तुम्हारी बातों से

यादों से

मगर इस पर

आते आस के कोंपलों को

समय

तोड ले जाता है

हरबार।

उन दुख से भीगे

सदियों जैसे

पलों में

बोन्साई के हर

घाव को

सहलाते जब

देखती हूँ

उसके अस्तित्व को

संपूर्णता में

तो समझाती हूँ

खुद को।

समय का

कोंपलों को

चुराना जरूरी है

पेड़ बनना

बोन्साई की

किस्मत

नहीं होती।


இந்த உள்ளடக்கத்தை மதிப்பிடவும்
உள்நுழை

Similar hindi poem from Romance