बोली का कमाल
बोली का कमाल
अचार- विचार, लोक व्यवहार, नेग रिवाज
मानव की सबसे बड़ी पहचान।
दिलों को जीता जा सके इससे
परायो को भी अपना बनाया जा सके इससे,
रोतो को भी हँसाया जा सके इससे
अपनों को भी पराया बनाया जा सके इससे।
बोलना निभाना एक कला हैं
जिसको आ गया उसने जग जीत लिया है
क्या, कैसे,क्यों, कब और कहाँ
कितनी मात्रा कितना सार
कैसे प्रस्तुत करे अपने विचार ?
बोलो ऐसे की किसी को सारा" सार" मिल जाये
मिलो किसी से ऐसे की उसकी
तलाश तुम तक खत्म हो जाये
सुनो किसी को ऐसे की किसी का
दिल का हाल बयाँ हो जाये
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बनों ऐसे की हर कोई तुम्हें पाना चाहे।
दिखो ऐसे की हर कोई तुम्हारे बारे में
कुछ भी गलत न सोच पाये।
दिलो से दिलो की राह होती है
हर इन्सान को हर इन्सान से
सम्मान और अपनेपन की चाह होती हैं
जैसा बोओगे वैसा ही काटोगे
बस ये समझना जरुरी है
अगर समझ जाएं तो फिर किसी
दिखावे की कहीं कोई जरुरत नहीं है।
धन कम हो तो क्या गम
नेक विचार और लोक व्यवहार
अपना सही रख
फिर देख,
धूमिल वातावरण में भी
अपनी अलग ही चमक है।
इस शोर मचाती दुनिया के बीच
अपनी आवाज़ की अलग ही खनक है।