बिटिया
बिटिया
मेरे हिस्से का दुःख
मेरे कोइछे में डाल दिया
मेरे पैर की बिछिया जोर से चुभी,
एक सिसकारी
बड़वारन की बिटिया,
सब कुछ ढक, तोप
सीने में दबा
मुस्काती है।
ससुरे में नैहर
नैहर मे सासुर
की ढक्कन ओढ़ाती
भाई, भउजी, अम्मा आजी
सबसे हँस आती है।
ई दिन अइसन
पाता हिले हँसी लागे
नानी की ठिठोली,
कोर गीले,होठ हँसते
आँसू मोटे हो,
मुँह बार-बार धो लेती
बस इत्ती सी
कहानी
बेटियों की।।