बिना विद्या के
बिना विद्या के
दुर्गतिया होइगै राम दुर्गतिया होइगै राम,
बिना विद्या के दुर्गतियॉ होइगै राम !
एक दिन गयेन स्टेशन पर,
रेल कै करै सवारी,
टिकट बाबू का ढूढै लागेन,
गठरी धरा उतारी,
गठरी चोरवा लईगा मारी,
दुर्गतिया होइगै राम़़,
बिना विद्या !
टिकट बाबू से कहेन टिकट दो,
संग मे चार सवारी,
बाबू कहेन कहॉ का जईहौ,
कहेन जाब ससुरारी,
आनै बच्चन कीमहतारी,
दुर्गतिया होइगै राम,
बिना विद्या !
एक दिन गयेन सिनेमा देखै,
देखा घोड़ा कै सवारी
,हमहू जानास ऊपरअइहैं,
मारा तानि कै लाठी,
दुर्गतिया होइगै राम,
बिना !
अंजलि पढै़ लिखै से ओहदापावै भारी,
दुर्गतिया,
बिना !