बिन तेरे जीवन
बिन तेरे जीवन
गीत
बिन तेरे जीवन
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बिन तेरे जीवन सूना सूना है ,
हर सुविधा मेरी हँसी उड़ाती है।
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घर तो है पर घर काट रहा मुझको,
झक झक बिस्तर पर, करते अंगारे।
चूल्हा जो तेरे खातिर लाया था,
वो सुबह शाम मुझको ताने मारे।
विरहा में बर्तन अनशन पर बैठे,
दिनचर्या मेरी अश्क बहाती है।
बिन तेरे जीवन सूना सूना है ,
हर सुविधा मेरी हँसी उड़ाती है।
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खाना पीना ,मजबूरी है लेकिन,
वो खून बढ़ाता नहीं, जलता है।
ये वसन बदन को भले ढकें मेरे,
ये तन विरहन सा नहीं नहाता है।
तन की तो फीकी आब हुई लेकिन,
मन की चंचलता खाये जाती है।
बिन तेरे जीवन सूना सूना है ,
हर सुविधा मेरी हँसी उड़ाती है।
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प्रेम सुधा पी इठलाये पंछी,
जब मुझे निशाना प्राण बनाते हैं।
जख्मी मन अंदर तक हिल जाता है,
आंसू लेकिन नयना पी जाते हैं।
पत्थर मन पर तब भारी रखता हूँ,
जेबें मेरी ही मुझे चिढ़ाती है।
बिन तेरे जीवन सूना सूना है,
हर सुविधा मेरी हँसी उड़ाती है।
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अख्तर अली शाह "अनन्त"नीमच
