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बिन जड़

बिन जड़

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फलेंगे फुलायेंगे

हरे भरे भी रहेंगे

बस एक ही मौसम

बिन जड़ के पौधे हैं

बदलाव नहीं देख पायेंगे

मौसमों की बातचीत में

इनका हाल कोई न पूछेगा

बिन जड़ के पौधे हैं

लहलहाना पलपल

इतिहास का पन्ना

कोरा रह जायेगा

घास के बारे में

लिखा तो जायेगा

वनवासी छोड़ जायेंगे पन्ना

सादा-सादा

आने वाली नस्लें लिखेंगी कुछ

ये तो तय है

तब भी

बिन जड़ के पौधे हैं

इतिहास में नहीं रचे जा सकते

वनवासियों की बात चीत में

मथे नहीं जा सकते

बिन जड़ के पौधे हैं।


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