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सोनी गुप्ता

Abstract

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सोनी गुप्ता

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बिन बोले सब समझ जाती

बिन बोले सब समझ जाती

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कल अकेली कुछ सोच रही थी ,

घर में अकेले ही घूम रही थी 

परेशानियाँ घिर आई थी जीवन में 

किसको बताएं समझ न आए 

तभी माँ ने आवाज लगाईं 

खाना बन गया आओ खालो 

मन नहीं हुआ खाने का 

माँ तुरंत ही कमरे में आई 

चेहरा देख सब कुछ समझ गई 

मुझे देख मेरी परेशानियाँ 

छट से वह भांप गई 

कहाँ से यह कला माँ को आती है 

बच्चे की हर परेशानी माँ 

छट से समझ जाती है 

मेरे बिन बोले ही सब कुछ समझ गई

बोली परेशानियों से घबराकर 

कुछ हल नहीं होता है 

जो बैठा रहा भाग्य भरोसे 

अंत में वह रोता है 

माँ की बातें दिल को छू गई 

अब तो सारी परेशानी मेरी 

जैसे छू मंतर हो गई I 


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