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Hasmukh Amathalal

Comedy

1.8  

Hasmukh Amathalal

Comedy

भविष्य उज्जवल हो

भविष्य उज्जवल हो

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चला गया

वर्ष बीत गया

कुछ दे आया

कुछ ले गया।

 

कत्लेआम हुआ

सरेआम हुआ

लोग घरभंग हुए

देश छोड़ने पर मजबूर हुए।

 

बिताई सर्द रातें आसमान के नीचे

भूखे और भय के साथ सोए छोटे बच्चे

किसी के मरने का हरदम अंदेशा

यही था सालभर का संदेशा।

 

हम फिर सत्यमार्गी है

फिर भी लोगों क

ी मर्जी है

कभी बह्कावे में आ जाते हैं

देश की संपत्ति को जला देते हैं।  

 

देश का हर नागरिक जिम्मेदार हो

देश की संपत्ति का सही हकदार हो

दिल से कहे कि मैं इसकी रक्षा करूँगा

समय आनेपर खुद का बलिदान भी दे दूंगा।

 

जो चला गया उसे याद नहीं करना

जो हो रहा है उसका गम नहीं करना

आनेवाला है उसे नजर के सामने रखना

भविष्य उज्जवल हो उसकी ही कामना करना।


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