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Saksham Sarode

Comedy

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Saksham Sarode

Comedy

धाक

धाक

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“बेटा, पहली बार जा रहे हो ससुराल

लो साथ ले जाओ ये पुश्तैनी तलवार”


देख कर मेरे चेहरे पर अर्जुनी संभ्रम

बाप ने दिया कुष्ण स्टाईल स्पष्टीकरण


“रोब में हो ससुराल तो काबू मे रहेगी लुगाई

वरना ताउम्र लडोंगे अपने अस्तित्व की लडाई

पती को धाक जमाने का यही एक अवसर है

शांतिमय गृहस्थी का यही सर्वोत्तम सोपान है”


“मेक्स सेन्स! ओ बिलवेड पितृवर!

बट व्हाय धिस ज़ंग लगी तलवार ?”

“सुबह जो पहली बिल्ली घुसे उनके घर

बिना कुछ बोले काट देना उसका सर”


“व्हाट दा बिवी, सास-ससुर सब क्या कहेंगे ?”

“eggjactly! उसके बाद फिर कभी, वो कुछ नही कहेंगे”


पौ फ़टते ही, ससुराल में, थैले से तलवार निकाल कर

मै जैसे ही पहुँचा बैठक तक, सुन्न रह गया देख कर


सासूमाँ हमारी पसीने से तरबतर

एक हाथ से घुमायें रही मुगदर

पास बैठे ससूरजी गिनते तत्पर

“तेरा हजार इकहत्तर, तेरा हजार बहत्तर..”


यूं समझिये, तकरीबन तभी से

पारिवारिक शांति बनी रही है

हो चाहे किसी की किसी पे

गृहस्थी में लेकिन धाक जरुरी है।


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