Saksham Sarode

Romance

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Saksham Sarode

Romance

सहूलियत

सहूलियत

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तू ना होता तब भी कहानी का यही अंजाम होता

मेरी वज़ह-ऐ-बेचैनी का बस कोई और नाम होता


तू नहीं तो कोई और होता दिल-ओ-जाँ पर हावी

ना अब जी को सुकूँ है ना तब कोई आराम होता


इसी वहशत से करता मैं किसी और का इंतजार

किसी और का तलबगार मैं सुबह-ओ-शाम होता


अब कोई पूछे तो कर सकता हूँ तेरी ओर इशारा

तू ना होता तो ज़माने में मैं बेवजह बदनाम होता


सच ये है के तू है तो है मुझे बड़ी सहूलियत वरना

मैं किस के सर अपनी दीवानगी का इल्ज़ाम देता


[वज़ह-ऐ-बेचैनी- reason for restlessness, सुकूँ-peace;

वहशत- पागलपन; तलबगार= seeker; सहूलियत- convenience;

दीवानगी- madness]


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