चड्डी
चड्डी
तुम्हे पसंद हो तो केसरिया पहनो
वरना हरी, नीली, इंद्रधुनषी पहनो
तुम्हारी अपनी है, जो मर्जी पहनो
मन करे पहनो, ना करे ना पहनो
ना मुझे तुम्हारी चड्डी में दिलचस्पी
ना तुम्हे मेरी चड्डी से मतलब कोई
तुम्हारी तुम देखो मैं सँभालु अपनी
ना साझा करे हम ना बँटवारा कोई
चड्डी की सरेआम नुमाइश क्यों करे
या पागल, मसख़रा या सुपरमैन करे
दूजे के चड्डी में तीजा टांग क्यों करे
व्यक्तिगत को सार्वजनिक क्यों करे
‘मेरा कच्छा तुमसे अच्छा’ करना क्या
चड्डी है कोई मुकाबला थोड़े ही है
क्या देखना-दिखाना, जताना क्या
बात निजी है साम्प्रादिक थोड़े ही है
चड्डी पर चर्चा नहीं हम ठिठोली करते है
नारे नहीं लगाते ना हम दंगे करते है
बसे नहीं जलाते ना हम खून बहाते है
चड्डी पर गर्व नहीं करते बस पहनते है
धर्म को भी चड्डी जैसा होना चाहिये
बस अब बहुत हो गया