फटके-फटाके
फटके-फटाके
जबसे घर में,
कोरोना से लटके
तबसे बाहर,
कहीं नहीं भटके
घर में जब चाहा,
जो चाहा,
बस गले में गटके।
गटके पर गटके,
तो ! पेट बाहर लटके
पेट बाहर लटके तो !!
दिखने लगे कुछ,
बहुत कुछ हटके ।
थोड़ा थोड़ा अनलॉक में,
खुल गया ऑफिस तो..!
चल निकले भटके।
लटके लटके,
पहुंचे आँफिस,
खाते हुए झटके
बॉस भी बैठा था,
आँफिस में डट के।
हम जो लगे,
कुछ हटके तो,
बॉस की नजर में,
जरा जरा खटके
हम बेशरम भटके
हम भी बैठ गये,
कुरसी पर डट के।
चुकी,
बॉस को पहले थे खटके
बस फिर क्या..!
बात बात पर,
बातों बातों में,
बात के,
बैठने लगे फटके ।
चपरासी भी लाकर,
फाइल पर फाइल पटके
घर में निकाले बात,
वहाँ भी उड़े खटके
घर में उड़े खटके तो,
सोचा था,
आजू बाजू नैनो से भटके।
सोच ही रहा था तो !
बीबी आयी नट के
हाथ में थैला,
गले में बैग लटके
बोली चलो,
बाजार में भटके।
लाते दीपक,
फुलझडी,फटाके,
नमकीन, मिठाई
मनाएंगे खुशी खुशी,
हम दीवाली।
ताकी "लक्ष्मी" माता का,
ध्यान हमसे ना भटके।
यह सुन,
खुशी से आँख भर आयी
खुशी की बात थी तो,
होंठों पर आयी
खुशी से मनाओ दीपावली,
शुभकामनाएं देता हूं,
पहले से,
ताकी नेट ना लटके
जरा कुछ हटके
ना उड़े खटके,
ना आप भटके ...।