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Ramashankar Roy 'शंकर केहरी'

Abstract Comedy

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Ramashankar Roy 'शंकर केहरी'

Abstract Comedy

बाप की शादी

बाप की शादी

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लोगों की नजर में दूल्हा मैं हूँ

मगर है शादी

मेरे बाप की

क्यों न कहूँ,

कैसे न कहूँ


है सब उनकी पसंद

तिथी से अतिथी तक

गाड़ी से साड़ी तक

लड़की से घड़ी तक

समधी से सास तक

समय से साज तक


पहनावा से चढ़ावा तक

दहेज से परहेज तक

तिलक से तलाक तक

कोई सरोकार नहीं

मेरे इनकार से


बता दे कोई हमदर्द

शादी है किसकी

मेरी या बाप की ?


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