भूत
भूत
किसने देखा है भूत कैसा
होता है यह भूत
यह सब मन का खेल है
और सब शक, संशय के भूत !
मन में बैठा होता है भूत
उसे निकालो मन से पहले
बस दुनिया में ही होता है
चलता फिरता जीवंत भूत !
भूत यह जो हमें दिखाता है
भूत ना समझो प्यारे यह खेल है
निडर बन कर इसका सामना करो
भाग जाता है मन का भूत !
दुनिया में कोई भूत नहीं होता
ना हाथ इस के लंबे होते हैं
ना वह ऊंचा होता है ना छोटा होता
यहां सब अपने मन का खेल है !
ना हवा में उड़ता है ना
बादलों में लहराता है
ना वो पानी में चलता है
ना आकाश में पहुंचता है !
असल की दुनिया में इतने भूत है
जो किसी का भविष्य बर्बाद करते हैं
जो किसी का मन दुखाते हैं
वही शर्मनाक सच्चे होते हैं भूत !
अगर जीना है तो सच के भूत को जानो
सच्चे जीवंत भूतों से लड़ पड़ो
जहां तहां फैले हैं कितने ही
लुच्चे, लफंगे छुपे हुए भूत !
इन्हें समझ जाओ तो अपना
जीवन होगा धन्य धन्य
अपना सफर करना मच छोड़ो
छोड़ो अंहम का भूत !