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Bharat Bhushan Pathak

Romance

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Bharat Bhushan Pathak

Romance

भूले-बिसरे खत

भूले-बिसरे खत

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कुछ खत अब भी पास

रखा है महफूज मैंने

तेरी गुलाबी ओंठ ने

भूल से ही सही

चूम लिया था उसे।


छीनना चाहती थी

उस वक्त तू जिसे

वो सारे खत संभाल

कर रखे है मैंने।


कहा था तुझे मैंने

जला दिया था उसे

उस वक्त जो झूठ

ही कहा था मैंने

कलेजे से लगाकर

जमाने से

उन सारे खतों को

बड़े एहतियात से

रखा है महफूज मैंने।


हर हर्फ मिटते

जा रहे

उससे पर अब

भी उसे संभाल

रखा है मैंने तेरे

याद में लिखे वो

सारे खत

जो मेरे लिए हैं

मेरी विरासत

वो भूले-बिसरे खत।


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