नाम की चाह नहीं मुझे
नाम की चाह नहीं मुझे
नाम नहीं
बस
वह अनुभव
चाहता हूँ
जिससे
नाम बनाई
जाती
है यहाँ
सीखता
रहूँ
बस मात्र
ये
आशीर्वाद चाहता
हूँ
वो महाविद्या
चाहता
हूँ मैं
जो
मुर्दों में
भी
प्राण फूँक
जाए
वो विलक्षण
शक्ति
परमात्मा की
वह
असली भक्ति
चाहता
हूँ मैं
जो
निर्जीव में
भी
प्राण ढूँढ
ले
बस वही
जादूगरी
सीख लेना
चाहता
हूँ मैं
सम्मान
अपमान का
ध्यान
नहीं मुझ को
बस
केवल बस
इस
छोटी उम्र में
ही सब
सीख
लेना चाहता
हूँ
मैं