मैं द्रुपद पुत्री द्रौपदी नहीं
मैं द्रुपद पुत्री द्रौपदी नहीं
मैं !
द्रुपद पुत्री
द्रौपदी ,
नहीं।
सहूँगी जो,
तेरे लांछन
तुमने क्या है
सोचा, चुप रहूँगी,
कुछ तुमसे
कहूँगी नहीं।
सुन! ये दुशासन तू
मैं कल भी न अबला थी
न आज भी मैं अबला हूँ।
हाँ कल बंधी थी ,
इसलिए बंदी थी
आज मुक्त हूँ, उन्मुक्त हूँ
मैं लांछन नहीं,
आज प्रतिशोध लूँगी।
मैं याज्ञसैनी नहीं!
हाँ केशव मेरे भ्राता हैं।
हे दुशासन, सुन ले तू!
मैं कोमला नहीं,
आज ज्वाला हूँ।
ठोकर सहने वाली,
शिला न समझ!
मैं पिघला हुआ लावा हूँ।
