मेरी भावनाओं की लालटेन
मेरी भावनाओं की लालटेन
एक ही तो सहारा है मेरा
मेरी भावनाओं का वो
लालटेन जिसके पुराने
विचार वाले घासलेट
अब काम ही नहीं करते
संवेदनाओं की लौह से
टिमटिमाने वाली नन्हीं- सी
छोटी ही मगर आनंद से
इधर-उधर स्वच्छंद
विचरने वाला मेरा
कविमन अब न जाने
इसे क्यों रोशन नहीं
कर पा रहा।
सोचता है कभी उदास होकर
कविमन मेरा क्या अब ?
पुनः रौशन इसे कर पाऊँगा मैं
ढूँढता रहता है वो जरिया
जिससे इसे फिर से रौशन
कर पाए कभी...
हाँ ये भी तो सही है
अब लालटेन उपयोग ही
तो नहीं होता आजकल
विचारों के घासलेट की जगह
आज ले लिया है कापी पेस्ट वाले
करोड़ों अनगिनत इन्वर्टर ने
मद्धिम ही सही पर अब भी
मेरी भावनाओं के लालटेन में
वो तिमिर नाशक शक्ति है
मेरी ही तरह बूढ़ी हो चुकी है
मगर मेरी भावनाओं के
लालटेन में थोड़ी ही
सही मगर रोशनी है।