मर्दों की भावनाएं
मर्दों की भावनाएं
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हाँ मैं जिन्दा हूँ, पर क्या !
केवल साँस चलना ही
जीवन है, या हैं ..
भावनाएं, कुछ भी !
क्या, बूझकर जीना !
जीवन है।
बेमन चल लेना
ही चलना है सोचता रहता,
बैठ वो ...पोंछ.. संवेदनाओं के
उन ....आंसूओं को !