'भूख '
'भूख '
बेहाल जिस्म हो गया, चीखों के जोर से ,
बस्ती जमा हुई थी वहां , उसके शोर से ।
बेसब्र भूख़ हो गई ,वह चोर नहीं थी ,
रोटी बंधी हुई थी, दुपट्टे के छोर से ।।
बेहाल जिस्म हो गया, चीखों के जोर से ,
बस्ती जमा हुई थी वहां , उसके शोर से ।
बेसब्र भूख़ हो गई ,वह चोर नहीं थी ,
रोटी बंधी हुई थी, दुपट्टे के छोर से ।।