हकीकत
हकीकत
लिख दे जो हक़ीक़त वो कलमकार नहीं हैं
ला दें जो इन्कलाब वो अख़बार नहीं हैं...
सच देखते, सच बोलते, सच सुनते अब कहां
बापू तेरे बंदर भी वफादार नहीं हैं।
लिख दे जो हक़ीक़त वो कलमकार नहीं हैं
ला दें जो इन्कलाब वो अख़बार नहीं हैं...
सच देखते, सच बोलते, सच सुनते अब कहां
बापू तेरे बंदर भी वफादार नहीं हैं।