भूख और रोटी
भूख और रोटी
भूख रोटी की संघर्ष हमारी
मेहनत हमारी पर कृपा मालिक की
बचा खुचा रुखा सुखा मैं खा लेता हूं
क्योंकि कीमत हमें मालूम है रोटी की
दिन भर तपता हूं
धूप सर्द बारिश सब सहता हूं
जहां न जाए कोई वहां जाता हूं
गंदगी से भारी नालियां साफ करता हूं
आसमान छूता भवन बनाता हूं
दो वक्त की रोटी के लिए
यह सारा संघर्ष उठता हूं
ऊंचे नीचे पहाड़ पर अपने से
ज्यादा वजन लेकर चढ़ जाता हूं
रात-रात भर जाग कर फसलों,
सरहद, समाज की रक्षा करता हूं
अपने और अपनों के लिए सहर्ष
यह कष्ट उठाता हूं
अपनी भूख मिटाने के लिए
दो वक्त की रोटी कमाने के लिए
गांव छोड़ कोसो दूर शहर
चला जाता हूं
अपने और अपनों की लिए
अपने आप को लगा कर
अपने ख्वाब को तक पर रख देता हूं
बदले में कुछ धन कम कर लाता हूं
भूख मिटाने के लिए सहर्ष यह संघर्ष में उठता हूं
दो वक्त की रोटी कमाने के लिए
गांव से कोसों दूर शहर चला जाता हूं
असल में अपने और अपनों के
खुशी के लिए यह सारा संघर्ष
सहर्ष उठता हूं
अपनी भूख मिटाने के लिए
रोटी कमाने के लिए यह सारा
संघर्ष सहर्ष उठता हूं
असल में भूख रोटी की
संघर्ष हमारी मेहनत हमारी पर
कृपा मालिक की ....